Indian Overseas Bank में सरकार ने OFS के जरिए 3 फीसदी तक हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया है, जिससे लगभग 2,000–2,100 करोड़ रुपये जुटाने का अनुमान है। OFS का फ्लोर प्राइस 34 रुपये प्रति शेयर रखा गया है, जो हाल के क्लोजिंग प्राइस पर छूट देता है और सरकार को SEBI के न्यूनतम सार्वजनिक हिस्सेदारी नियमों के अनुरूप आने में मदद करेगा।
OFS का स्ट्रक्चर और निवेशकों के लिए मौका
Indian Overseas Bank के OFS के तहत सरकार 2 फीसदी बेस ऑफर के साथ 1 फीसदी ग्रीन शू ऑप्शन के रूप में कुल 3 फीसदी तक स्टेक बेच सकती है। ऑफर दो दिनों में पूरा होगा, जहां पहले दिन नॉन-रिटेल निवेशक और दूसरे दिन रिटेल निवेशक बोली लगा सकेंगे। फ्लोर प्राइस 34 रुपये प्रति शेयर रखा गया है, जो हाल के 36.5 रुपये के आसपास क्लोजिंग प्राइस से करीब 7–8 फीसदी डिस्काउंट पर है, इसलिए शॉर्ट टर्म में डिस्काउंट एंट्री चाहने वाले निवेशकों के लिए यह आकर्षक स्तर माना जा सकता है।
बिजनेस मॉडल, ग्रोथ और Q2 FY26 नतीजे
Indian Overseas Bank मुख्य रूप से रिटेल, एग्रीकल्चर, MSME और कॉर्पोरेट सेगमेंट में ऋण देने वाला पब्लिक सेक्टर बैंक है, जिसने हाल के वर्षों में बैड लोन घटाने और प्रॉफिटेबिलिटी सुधारने पर फोकस बढ़ाया है। Q2 FY26 में बैंक का नेट प्रॉफिट साल-दर-साल लगभग 58–62 फीसदी उछलकर करीब 1,228–1,259 करोड़ रुपये के दायरे में पहुंचा, जो अब तक के सबसे मजबूत तिमाही लाभों में गिना जा रहा है। इसी अवधि में नेट इंटरेस्ट इनकम लगभग 20–21 फीसदी बढ़कर लगभग 3,061 करोड़ रुपये के आसपास रही, जबकि प्रोविजनिंग पर दबाव घटने से मार्जिन और रिटर्न रेशियो बेहतर दिखे।
Q2 FY26 परिणाम
नीचे Indian Overseas Bank के Q2 FY26 के प्रमुख आंकड़े संक्षेप में दिए गए हैं
| Metric (Q2 FY26) | Value (₹ करोड़) |
|---|---|
| Net Interest Income | ~3,061 |
| Profit Before Tax | ~1,729 |
| Profit After Tax | ~1,228–1,259 |
| Provisions & Contingencies | ~672 |
ये आंकड़े दिखाते हैं कि Indian Overseas Bank अपनी टर्नअराउंड जर्नी में लाभप्रदता, एसेट क्वालिटी और पूंजी की स्थिति तीनों मोर्चों पर क्रमिक सुधार कर रहा है, जो OFS के बाद भी बैंक की बुनियादी मजबूती के लिए अहम है।
शेयरहोल्डिंग पैटर्न और OFS का असर
सितंबर 2025 तक Indian Overseas Bank में सरकार की प्रमोटर हिस्सेदारी लगभग 94.61 फीसदी थी, जो सार्वजनिक शेयरधारकों के लिए फ्री फ्लोट को सीमित रखती है। OFS के बाद यह हिस्सेदारी कम होकर भी 90 फीसदी से ऊपर ही रहेगी, लेकिन मार्केट में उपलब्ध शेयरों की संख्या बढ़ेगी, जिससे लिक्विडिटी और प्राइस डिस्कवरी बेहतर हो सकती है।
| Category | Holding (%) Sep 2025 |
|---|---|
| Promoter (Government of India) | 94.61 |
| Insurance Companies (DIIs) | 1.84 |
| Other Domestic Institutions (excl. MF, Ins.) | 2.18 |
| Mutual Funds | 0.12 |
| FIIs | 0.31 |
| Retail & Other Public | 2.78 |
यह पैटर्न दिखाता है कि अभी भी प्रमोटर नियंत्रण बहुत ऊंचा है और FIIs व MFs की हिस्सेदारी सीमित है, हालांकि OFS के जरिए संस्थागत व रिटेल दोनों श्रेणियों की भागीदारी बढ़ने की संभावना है, जो आगे चलकर वैल्यूएशन और वोलैटिलिटी को प्रभावित कर सकती है
बैंक की वित्तीय मजबूती
Indian Overseas Bank के हालिया नतीजे बताते हैं कि बैंक ने क्रेडिट ग्रोथ, नेट इंटरेस्ट इनकम और प्रॉफिटेबिलिटी में लगातार सुधार दिखाया है, जबकि प्रोविजनिंग का बोझ घटा है और एसेट क्वालिटी इंडिकेटर में सुधार दर्ज हुआ है। OFS के बाद पूंजी आधार और पब्लिक फ्लोट दोनों मजबूत होंगे, जिससे बैंक को भविष्य की ग्रोथ, टेक्नोलॉजी निवेश और रेगुलेटरी जरूरतों को पूरा करने में मदद मिल सकती है। साथ ही, PSU बैंकिंग थीम और सरकारी रीकैपिटलाइजेशन की पृष्ठभूमि में यह स्टॉक मिड-टर्म निवेशकों के लिए एक महत्वपूर्ण PSU banking play बनकर बना रह सकता है, हालांकि हर निवेशक के लिए स्वतंत्र रिस्क मूल्यांकन जरूरी रहेगा।
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